चेरनोबिल: 26 अप्रैल
26 अप्रैल 1986 : चेरनोबिल न्यूक्लियर प्लांट- चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना मानव इतिहास की सबसे बड़ी परमाणु दुर्घटना है जो 25-26 अप्रैल 1986 की रात यूक्रेन स्थित चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र के रिएक्टर क्रमांक 4 में हुई | यह परमाणु संयंत्र उत्तरी सोवियत यूक्रेन में स्थित शहर (जहाँ अब कोई नही रहता) के पास बनाया गया था | यह हादसा देर रात को उस वक्त हुआ जब इस संयंत्र के रक्षा उपकरणों की जांच की जा रही थी
चेरनोबिल: 26 अप्रैल का वह एक घंटा
यूक्रेन के चेरनोबिल में हुई परमाणु दुर्घटना को दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु हादसा माना जाता है. एक नजर डालते हैं-
चेर्नोबिल (Chernobyl disaster in hindi) हादसे की कारण को ले कर आज भी कई सारे अटकलें लगाए जाते हैं , परंतु उन सभी अटकलों के मध्य एक ऐसा कारण हैं जिसे की इस हादसे का मूल जड़ मानते हैं तो, 1986 अप्रैल 26 तारीख के दिन चेर्नोबिल प्लांट के अंदर मौजूद रिएक्टर 4 में एक बड़ा धमाका हुआ | इस धमाके की मुख्य वजह रिएक्टर चालक (operator) की लापरवाही को बताया गया | इसके अलावा प्लांट के कर्मी बिना किसी सुरक्षित प्रक्रिया (safety protocol) का पालन किए बड़ी ही असुरक्षित ढंग से रिएक्टर को बहुत ही कम बिजली पर चला रहे थे | कई लोग यह भी कहते हैं की प्लांट के कर्मी अपने ही प्लांट मेँ तैनात सुरक्षा कर्मियों की सलाह भी नहीं लेते थे |चेर्नोबिल (Chernobyl disaster in hindi) हादसे का एक और अजीब वजह था प्लांट के अंदर इस्तेमाल किया जाने वाले रिएक्टरों की बनावटी संरचना | जी हाँ ! दोस्तों चेर्नोबिल के अंदर मौजूद सभी रिएक्टर RBMK डिज़ाइन के तहत बनाया गया था , जो की किसी भी दूसरे सामान्य रिएक्टर से काफी ज्यादा भिन्न था | यह रिएक्टर काफी ज्यादा ताकतबर था और इसके अंदर पानी की भारी मात्रा मेँ दबाव बना कर रखा जाता था | चेर्नोबिल मेँ लगे हर एक रिएक्टर से मुख्य रूप से बिजली और प्लूटोनियम (plutonium) निकलता था | इसलिए इस के अंदर बहुत तेजी से परमाणुओं का प्रतिक्रीया होता था | परंतु दोस्तों यह रिएक्टर इतना ताकतबर होने के बावजूद इसकी एक कमजोरी थी | यह रिएक्टर कम ऊर्जा मेँ सही तरीके से काम नहीं कर पाता था | इसलिए इस को कम ऊर्जा मेँ चलना खतरे से बिलकुल भी खाली नहीं था | रिएक्टर के अंदर होने वाले ताकतबर परमाणु प्रतिक्रीया (nuclear reaction) रिएक्टर को बहुत ही कम समय मेँ बहुत ज्यादा गरम कर देते थे | इसलिए रिएक्टर को हमेशा ठंडा रखने के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल किया जाता था | परंतु अप्रैल 26 1986 के दिन किसी कारण से रिएक्टर को ठंडे पानी की पूर्ति नहीं हो पाई और रिएक्टर बहुत ज्यादा गरम हो कर एकाएक विस्फोट हो कर फट गया | पानी के आपूर्ति का मूल कारण बाद में रिएक्टर से ठंडे पानी की रिसाव को बताया गया | रिएक्टर के अंदर मौजूद पावर फ्युल केवल के साथ रिएक्टर को ठंडा करने वाला पानी प्रतिक्रिया करते हुए एक बड़े से धमाके की कारण बनी | चेर्नोबिल के अंदर बाकी बचे रिएक्टर 2 को साल 1991 के में बंद कर दिया गया था | इसके अलावा रिएक्टर 1 और 3 को क्रमानुसार 1996 और 2000 को बंद करवा दिया गया था |
हादसे की 35 साल बाद भी चेर्नोबिल की मिट्टी , पेड़-पौधे तथा इसके आसपास मौजूद हर एक चीज़ रैडिओ एक्टिविटी के कारण बहुत ज्यादा खतरनाक हैं | आज चेर्नोबिल के अंदर विकिरण 12.6 uSv/hour है , जो की काफी ज्यादा हैं और रिएक्टर के अंदर 336 uSv/hour है |
सोवियत सरकार ने हादसे को देखते हुए रिएक्टर के आसपास सीमेंट से एक बड़ा दीवार बना दिया था , जिससे विकिरण और ज्यादा न फैले परंतु दोस्तों ! समय की दबाव के चलते बाद मेँ यह दीवाल क्षति-ग्रस्त हो गया | बाद मेँ इसके ऊपर एक सुरक्षा चादर बिछाया गया है , जो की चेर्नोबिल (Chernobyl disaster in hindi) हादसे से निकलती हुई विकिरण को आने वाले 100 सालों तक रोके हुए रखेगा |
मेँ यहाँ आपको बता दूँ की एक शोध से पता चला है की सबसे ज्यादा विकिरण से संक्रमित जगह रिएक्टर-4 हैं | इसलिए यह रिएक्टर 20,000 साल के बाद ही रहने लायक हो पाएगा |